लेखक दिनेश गुप्ता 'दिन' ने अपने इस नवीनतम काव्य-संग्रह में पिछली पुस्तकों की तरह समाज के प्रत्येक पहलू को न छूकर, उसके सबसे सुन्दर पक्ष 'मोहब्बत' को प्राथमिकता दी है। 'कैसे चंद लफ़्ज़ों में सारा प्यार लिखूँ' में कवि ने प्रेम-रस को जो भावात्मक अभिव्यक्ति प्रदान की है, वह भले ही साहित्यिक मानकों पर खरी उतरे या न उतरे, किन्तु पाठकों को प्रेम के मार्मिक स्पर्श-बोध से अवगत कराने में कोई कसर बाक़ी नहीं छोड़तीं।
पुस्तक में प्रस्तुत कवितायेँ सीधे ह्रदय को मोहित करती हैं, अतः यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि कवि का श्रृंगार-रस कौशल पाठकों के मन में एक अद्भुत अहसास छोड़ने में पूर्णतया सक्षम रहेगा|
पुस्तक में प्रस्तुत कवितायेँ सीधे ह्रदय को मोहित करती हैं, अतः यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि कवि का श्रृंगार-रस कौशल पाठकों के मन में एक अद्भुत अहसास छोड़ने में पूर्णतया सक्षम रहेगा|
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